चीन में रहस्यमय हथियार के कारण अमेरिका की टेंशन बढ़ी
अमेरिका ने एक रहस्यमय बीमारी को लेकर चीन के लिए हेल्थ अलर्ट जारी किया है। ऐसे में दो साल बाद एक बार फिर 'सॉनिक वेपन' का खौफ पैदा हो गया है। क्यूबा में पहली बार इस तरह की घटना सामने आई थी जब अमेरिकी राजनयिक और उनके परिवार काफी सहम गए थे। अब दक्षिण चीन के गुआंगझाऊ शहर स्थित अमेरिकी कांसुलेट में डॉक्टरों की टीम खतरनाक साउंड्स के कारण बीमार पड़नेवाले स्टाफ का इलाज कर रही है।
कुछ स्टाफ की तबीयत ज्यादा खराब होने के कारण उन्हें अमेरिका वापस बुला लिया गया है। बताया जा रहा है कि इनमें से कम से कम एक व्यक्ति का ब्रेन ट्रॉमा का इलाज चल रहा है। क्यूबा में अजीब सी आवाज का मामला अब तक मेडिकल जगत के लिए पहेली बना हुआ है। 2016 से अब तक क्यूबा से गंभीर रूप से पीड़ित 24 राजनयिकों को वापस बुला लिया गया।
रूस या चीन का हाथ तो नहीं?
चीन में यह घटना अमेरिका के लिए कूटनीतिक पहेली भी बनी हुई है क्योंकि अभी यह समझ में नहीं आ रहा है कि इस पर प्रतिक्रिया कैसे दी जाए और क्या यह चीन की धरती पर अमेरिकियों के खिलाफ जानबूझकर किया गया हमला है। न्यू यॉर्क टाइम्स की एक रिपोर्ट के अनुसार अमेरिकी अधिकारियों ने निजी तौर पर यह सवाल उठाए हैं कि क्या चीन या रूस अलग-अलग या मिलकर राजनयिकों को निशाना बना रहे हैं।
अमेरिका ने नहीं लगाया आरोप
वॉशिंगटन ने पेइचिंग पर किसी भी तरह का आरोप नहीं लगाया है। फिलहाल अमेरिका ने अपने अधिकारियों को मामले की गहन जांच करने को कहा है। वॉशिंगटन में सेंटर फॉर स्ट्रैटिजिक ऐंड इंटरनैशनल स्टडीज में चीनी विशेषज्ञ बोनी ग्लेसर ने कहा, 'जब तक वे पूरी तरह से कारण और मामले को समझ नहीं लेते, आरोप लगाना जल्दबाजी होगी। मुझे नहीं लगता है कि अमेरिका इसे अटैक कहेगा।' हालांकि यह क्यूबा केस की तुलना में अमेरिका का अलग रवैया है क्योंकि उस केस में अमेरिकी विदेश विभाग ने हवाना पर निशाना साधते हुए उस पर राजनयिकों की सुरक्षा कर पाने में नाकाम रहने का आरोप लगाया था।
कुछ स्टाफ की तबीयत ज्यादा खराब होने के कारण उन्हें अमेरिका वापस बुला लिया गया है। बताया जा रहा है कि इनमें से कम से कम एक व्यक्ति का ब्रेन ट्रॉमा का इलाज चल रहा है। क्यूबा में अजीब सी आवाज का मामला अब तक मेडिकल जगत के लिए पहेली बना हुआ है। 2016 से अब तक क्यूबा से गंभीर रूप से पीड़ित 24 राजनयिकों को वापस बुला लिया गया।
रूस या चीन का हाथ तो नहीं?
चीन में यह घटना अमेरिका के लिए कूटनीतिक पहेली भी बनी हुई है क्योंकि अभी यह समझ में नहीं आ रहा है कि इस पर प्रतिक्रिया कैसे दी जाए और क्या यह चीन की धरती पर अमेरिकियों के खिलाफ जानबूझकर किया गया हमला है। न्यू यॉर्क टाइम्स की एक रिपोर्ट के अनुसार अमेरिकी अधिकारियों ने निजी तौर पर यह सवाल उठाए हैं कि क्या चीन या रूस अलग-अलग या मिलकर राजनयिकों को निशाना बना रहे हैं।
अमेरिका ने नहीं लगाया आरोप
वॉशिंगटन ने पेइचिंग पर किसी भी तरह का आरोप नहीं लगाया है। फिलहाल अमेरिका ने अपने अधिकारियों को मामले की गहन जांच करने को कहा है। वॉशिंगटन में सेंटर फॉर स्ट्रैटिजिक ऐंड इंटरनैशनल स्टडीज में चीनी विशेषज्ञ बोनी ग्लेसर ने कहा, 'जब तक वे पूरी तरह से कारण और मामले को समझ नहीं लेते, आरोप लगाना जल्दबाजी होगी। मुझे नहीं लगता है कि अमेरिका इसे अटैक कहेगा।' हालांकि यह क्यूबा केस की तुलना में अमेरिका का अलग रवैया है क्योंकि उस केस में अमेरिकी विदेश विभाग ने हवाना पर निशाना साधते हुए उस पर राजनयिकों की सुरक्षा कर पाने में नाकाम रहने का आरोप लगाया था।
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