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बिहार एनडीए में मची खींचतान का ये है गणित, हर कोई है 'बड़ा भाई'

पटना: 2019 लोकसभा चुनाव से पहले बिहार में एनडीए के सहयोगियों के साथ डिनर पार्टी कर बीजेपी ने भले ही आपसी मनमुटाव को भुनाने की कोशिश की, मगर यह बात अब किसी से छिपी नहीं रह गई है कि बीजेपी का यह डिनर प्लान पूरी तरह से सफल नहीं हो पाया है. बिहार एनडीए के अहम सहयोगियों में से एक रालोसपा प्रमुख और केंद्रीय मंत्री उपेंद्र कुशवाहा का डिनर पार्टी में शामिल न होना, डिनर से ठीक पहले उनकी पार्टी के नेता के द्वारा कुशवाहा को एनडीए की ओर से सीएम कैंडिडेट के रूप में प्रोजेक्ट करने की वकालत करना और डिनर पार्टी में अमित शाह के भी नहीं शामिल होने पर उपेंद्र कुशवाहा का पत्रकारों पर झल्लाना, ये सभी बातें इस बात की तस्दीक करती हैं कि अभी भी बिहार एनडीए में सब कुछ ठीक नहीं चल रहा है. दरअसल, डिनर पार्टी की अगली सुबह उपेंद्र कुशवाहा जब पटना पहुंचे तो पत्रकारों के सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि अमित शाह भी इस भोज में शामिल नहीं हुए,  तो आप क्या उनसे सवाल नहीं पूछेंगे? हालांकि, उन्होंने उसी वक्त यह बात जरूर कही कि एनडीए एक है और रहेगा. मगर अभी तक उनका स्पष्ट स्टैंड किसी को नजर आता नहीं दिख रहा है. इसके अलावा तेजस्वी ने कुशवाहा को न्योता देकर उनके लिए एनडीए के अलावा एक और रास्ता मुहैया करा दिया है. 


तेजस्वी यादव ने दिया उपेंद्र कुशवाहा को न्योता, कहा- एनडीए में आपकी कोई जगह नहीं

बिहार में एनडीए गठबंधन के चार अहम घटक दलों में उपेंद्र कुशवाहा और उनकी पार्टी भी एक है, जिस गठबंधन को बीजेपी नेतृत्व करती है. हालांकि, तकनीकी रूप से देखा जाए तो नीतीश कुमार की पार्टी बिहार में एनडीए में सबसे बड़ी पार्टी के रूप में हैं. मगर आगामी लोकसभा चुनाव से पहले एनडीए में कौन बड़ा-कौन छोटा का खेल शुरू हो गया है और इसी खेल ने अब इस बात की ओर इशारा कर दिया है कि एनडीए में सब कुछ ठीक नहीं है. एक तरफ नीतीश कुमार की पार्टी जदयू का कहना है कि बिहार विधानसभा में संख्या बल के हिसाब से उसे बिहार में बड़ी पार्टी का दर्जा दिया जाए और उसकी पार्टी को 25 सीटों पर लोकसभा चुनाव लड़ने का मौका दिया जाए. वहीं, उपेंद्र कुशवाहा की पार्टी का कहना है कि लोकसभा में सीटों की संख्या बल के मुताबिक, वह जदयू से बड़ी पार्टी है. इसलिए उपेंद्र कुशवाहा को सीएम कैंडिडेट के रूप में प्रोजेक्ट किया जाए, तभी लोकसभा और विधानसभा चुनाव जीता जा सकता है. मतलब बिहार में अभी जो सियासी हलचल देखने को मिल रही है, उसके मुताबिक, लोकसभा चुनाव में सीटों का बंटवारा ही एनडीए के लिए सबसे बड़ी चुनौती है.

राजनीतिक उथल-पुथल पर लगा विराम, उपेंद्र कुशवाहा बोले- एनडीए एकजुट है और रहेगा

बीजेपी, रालोसपा, जदयू के अलावा लोक जनशक्ति पार्टी भी एनडीए गठबंधन का हिस्सा है, जिसे रामविलास पासवान लीड करते हैं. रामविलास पासवान के पास चार सीटें हैं, मगर वह भी बीते कुछ समय से बीजेपी की ओर से सांप्रदायिक बयानबाजी और दलितों के मुद्दे को लेकर खपा चल रहे हैं. हालांकि, यह बात भी सही है कि रामविलास पासवान कई बार कह चुके हैं कि वह न तो एनडीए छोड़ेंगे और न नीतीश. मगर रामविलास के सियासी बैकग्राउंड को देखकर कभी भी उनके दावों पर भरोसा नहीं किया जा सकता. अवसर देखते ही वह कब और कैसे पलट जाएंगे, इसकी बानगी देश की जनता पहले भी देख चुकी है.

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