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आखिर उत्तर कोरिया के लिए क्यों जरूरी है सिंगापुर शिखर बैठक

नई दिल्ली । 7 साल पहले जब से किम जोंग उन ने उत्तर कोरिया की सत्ता संभाली है, उन्होंने बार-बार अपने देश के लिए अभावों से मुक्त भविष्य का वादा किया है। किम जोंग ने संकल्प व्यक्त किया कि उनके देशवासियों को फिर से 1994 से 1998 तक चले अकाल के दौर का फिर से सामना नहीं करना पड़ेगा। पिछले साल उन्होंने इसके लिए माफी भी मांगी थी कि वह अपने वादे को पूरा नहीं कर सके। इस साल किम जोंग ने दावा किया कि उनका देश नाभिकीय शक्ति संपन्न बन गया है और अब देश को समृद्धि की राह पर ले जाने का काम किया जाएगा।


हाल के समय में उनके तानाशाही तेवरों में जिस तरह कमी आई और उन्होंने दुनिया के साथ कूटनीतिक संबंध कायम करने की दिशा में कुछ कदम बढ़ाए हैं उससे पता चलता है कि वह उत्तर कोरिया की जनता की बढ़ती अपेक्षाओं को पूरा करने को लेकर दबाव का सामना कर रहे हैं। किम जोंग को लगता है कि अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के साथ जून में प्रस्तावित उनकी शिखर बैठक दुनिया के साथ चलने के मामले में उनके देश के लिए नए रास्ते खोलेगे।

संकट ऊर्जा का
उत्तर कोरिया मानता है कि उसका सबसे बड़ा प्रतिद्वंद्वी दक्षिण कोरिया है, लेकिन दोनों की प्रगति में खासा अंतर है। एक बानगी ऊर्जा का उत्पादन है। दक्षिण कोरिया जितनी बिजली का उत्पादन करता है उसका महज पांच प्रतिशत ही उत्तर कोरिया उत्पादित कर पाता है। उत्तर कोरिया से भागे लोगों ने बताया है कि वहां यात्रियों को घंटों ट्रेनों में फसा रहना पड़ता है, क्योंकि बिजली के संकट के कारण ट्रेनें जहां की तहां खड़ी हो जाती हैं।

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