मशहूर साहित्यकारों की कृतियों पर ट्रेनों के नाम रखे जाएंगे:Rail Mantri
नई दिल्ली। रेल मंत्रालय कुछ ट्रेनों का नाम मशहूर साहित्यकारों की कृतियों पर रखे जाने के प्रस्ताव पर विचार कर रहा है। यह सुझाव रेल मंत्री सुरेश प्रभु ने दिया है। इसका मकसद ट्रेन यात्रा को थोड़ा ज्ञानवर्धक बनाने और प्रसिद्ध साहित्यकारों के क्षेत्र से परिचित कराना है। एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि पश्चिम बंगाल जाने वाली किसी ट्रेन का नाम महाश्वेता देवी के किसी उपन्यास पर रखा जा सकता है। वहीं बिहार जाने वाली किसी यात्री ट्रेन का नाम रामधारी सिंह दिनकर की कृति पर रखा जा सकता है। उन्होंने बताया कि मंत्रालय राष्ट्रीय स्तर पर पुरस्कृत साहित्यिक कृतियों का एक डाटा बैंक ट्रेनों के नाम रखने के लिए तैयार कर रहा है।
अधिकारी ने बताया कि ट्रेनों का नाम साहित्यिक कृतियों पर रखने का विचार रेल मंत्री सुरेश प्रभु की ओर से आया है। उनका मानना है कि रेलवे देश को जोड़ने वाला धर्मनिरपेक्ष माध्यम है और इसका इस्तेमाल विभिन्न सांस्कृतिक पहचान को दिखाने के लिए किया जा सकता है। इससे देश की विभिन्न भाषाओं और क्षेत्रों से आने वाले लेखकों की कृति पर ट्रेनों के नाम रखे जा सकेंगे।
इस डाटा बैंक पर काम कर रहे अधिकारियों ने बताया कि इसके लिए प्रारंभिक काम शुरू हो गया है क्योंकि साहित्य अकादमी पुरस्कार जीतने वाली कृतियों को शॉर्टलिस्ट किया जा रहा है। ट्रेनों को नए नाम दिए जाने और नाम बदलने का फैसला मंत्रालय को करना है। हालांकि स्टेशनों के नए नाम रखने के लिए अनुमति की जरूरत पड़ेगी।
मई 2014 में भाजपा के सत्ता में आने के बाद से कई ट्रेनों, स्टेशनों, रेल सर्किट और योजनाओं के नाम बदले गए हैं। उदाहरण के तौर पर महामना एक्सप्रेस का नाम हिंदू महासभा के अध्यक्ष रहे मदन मोहन मालवीय और अंत्योदय एक्सप्रेस का नाम भारतीय जनसंघ के विचारक दीन दयाल उपाध्याय के नाम पर रखा गया था।
कुछ ट्रेनों के नाम तो पहले से ही साहित्यक पुट वाले हैं। उदाहरण के तौर पर मुंबई से उत्तर प्रदेश के बीच चलने वाली गोदान एक्सप्रेस मुंशी प्रेमचंद के उपन्यास गोदान पर है। उत्तर प्रदेश में आजमगढ़ से दिल्ली के बीच चलने वाली कैफियात एक्सप्रेस का नाम मशहूर उर्दू शायर कैफी आजमी की कृति के नाम पर रखा गया था। कैफी आजमी का गृहनगर आजमगढ़ है।
Post a Comment