Header Ads

test

हसदेव बचाव आंदोलन स्थल की झोपड़ी खाक,आंदिलनकरियों ने कहा-जंगल बचाने जारी रहेगा संघर्ष

 हसदेव बचाव आंदोलन स्थल की झोपड़ी खाक,आंदिलनकरियों ने कहा-जंगल बचाने जारी रहेगा संघर्ष

हसदेव क्षेत्र में 17 कोल ब्लॉक प्रस्तावित हैं। नए कोल ब्लॉक की स्वीकृति और पेड़ों की कटाई का विरोध स्थानीय ग्रामीण कर रहे हैं।

हसदेव बचाव आंदोलन स्थल की झोपड़ी खाक

 हसदेव बचाव आंदोलन के धरना स्थल की झोपड़ी आग से जल गई। इसी झोपडी के नीचे प्रभावित क्षेत्र के लोग 750 दिन से भी अधिक समय से धरना दे रहे हैं।यह स्थल सरगुजा जिले के उदयपुर थाना क्षेत्र के ग्राम हरिहरपुर में है। हरिहरपुर में हसदेव कोयला खदानों के विरोध में यह आंदोलन चल रहा है। रविवार रात को हुई घटना के बाद पुलिस जांच में जुटी हैं। जिस रात घटना हुई वह होलिका दहन की रात थी। आग कैसे लगी या लगाई गई यह स्पष्ट नहीं हो सका है। सरगुजा पुलिस अधीक्षक विजय अग्रवाल का कहना है कि हम जांच करा रहे हैं। जरूरत पड़ी तो विधि विज्ञान विभाग के विशेषज्ञों की भी मदद ली जाएगी।
आंदोलनकारियों का कहना है कि, नए कोयला खदानों की स्वीकृति के विरोध में यह आंदोलन चलता रहेगा। यहां राजस्थान राज्य विद्युत उत्पादन कंपनी का परसा केते ईस्ट बासेन (पीकेईबी) खदान में कोल उत्खनन करीब 11 वर्षों से चल रहा है। हसदेव क्षेत्र में 17 कोल ब्लॉक प्रस्तावित हैं। इसके एक बड़े क्षेत्र को तत्कालीन कांग्रेस सरकार ने लेमरु एलिफेंट रिजर्व में प्रस्तावित कर दिया है।हसदेव अरण्य इलाके में कोई नया उत्खनन न करने और नए कोल ब्लॉक की स्वीकृति नहीं दिए जाने को लेकर विधानसभा में अशासकीय संकल्प भी सर्वसम्मति से पारित किया गया है। नए कोल ब्लॉक की स्वीकृति और पेड़ों की कटाई का विरोध स्थानीय ग्रामीण कर रहे हैं। इसी मांग को लेकर हरिहरपुर में प्रभावित क्षेत्र के लोग धरना दे रहे है। धरनास्थल पर लकड़ियों का उपयोग कर एक बड़ी झोपड़ी बनाई गई थी। होलिका दहन की रात इसी झोपड़ी में आग लग गई। सुबह लोगों को घटना का पता चला। आग लग जाने की शिकायत थाने में दर्ज कराई गई है।उदयपुर थाना प्रभारी कुमारी चंद्राकर के नेतृत्व में जांच दल मौके पर पहुंचा। आग कैसे लगी यह अभी तक स्पष्ट नहीं हो सका है।आंदोलनकारियों ने आंदोलन जारी रखने की बात कही है।

No comments