डर छोड़कर साहसी बने, अपनी मेहनत पर रखें भरोसा: मुख्यमंत्री भूपेश बघेल
मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल ने आज मासिक रेडियोवार्ता लोकवाणी की सातवी कड़ी में ‘परीक्षा प्रबंधन और युवा कैरियर के आयाम‘ विषय पर विद्यार्थियों से आत्मीयता के साथ बातचीत की। मुख्यमंत्री ने बच्चों से कहा कि समय का पूरा सदुपयोग करें, परीक्षा के समय खाना-पीना सादा रखें, हल्का व्यायाम करें। मोबाइल, टीवी आदि से दूर रहें, जिससे आंखों को आराम मिले और दिमाग भी शांत रहे। श्री बघेल ने कहा कि आप अपना पूरा प्रयास करें अधिक अंक मिले तो अच्छा है और न मिले तो भी अच्छा है। इससे कुछ बनता बिगड़ता नहीं है। बिना उच्चतम अंक पाए बहुत से लोग अपने बेहतर कार्यों के दम पर शिखर पर पहुंचे हैं। उन्होंने बच्चों को परीक्षा की तैयारी, तनाव से निपटने के उपायों की जानकारी देते हुए बच्चों के अभिभावकों से भी यह आग्रह किया कि वे परीक्षा की तैयारी में अपने बच्चों के सहयोगी बने। परीक्षा में उच्च अंक लाने का उन पर दबाव न डाले। प्रदेश के विभिन्न शहरों और गांवों के बच्चों ने मुख्यमंत्री से अनेक सवाल पूछे जिनका मुख्यमंत्री ने सिलसिलेवार जवाब दिया। श्री भूपेश बघेल ने बच्चों के साथ चर्चा करते हुए कहा कि मैं चाहता हूं कि ज्यादा से ज्यादा समय आपके साथ बिताऊ। बच्चों के साथ बातचीत करने से मुझे भी अपने बचपन के दिन याद आते हैं।
डर छोड़कर साहसी बने, अपनी मेहनत पर रखें भरोसा
श्री बघेल ने बच्चों का हौसला बढ़ाते हुए कहा कि ’जो रखते हैं उड़ने का शौक, उन्हें नहीं होता गिरने का खौफ’। मुख्यमंत्री ने परीक्षा के समय होने वाले डर और तनाव से निपटने के उपायों के संबंध में कहा कि सबसे पहले तो इस डर के मनोविज्ञान को समझना जरूरी है। जब तक आप डर के बारे में सोच-सोचकर डरते रहेंगे, तब तक मन से डर को बाहर निकाल फेंकने का प्रयास शुरू ही नहीं कर पायेंगे। सवाल सिर्फ पढ़ाई के डर का नहीं है, बल्कि स्वभाव का है कि आप हिम्मत वाले, साहसी, निडर कहलाना चाहते हैं या डरपोक। निश्चित तौर पर आप सब साहसी कहलाना पसंद करेंगे। मुझे लगता है कि तैयारी में किसी न किसी कारण से कोई कमी ही डर का कारण बनती है और दूसरा बड़ा कारण है कि आपने जितनी मेहनत की है, उससे अधिक की अपेक्षा रखने पर डर लगता है। बहुत अच्छी तैयारी के बाद भी अगर डर लगता है तो इसका मतलब है कि कहीं न कहीं आत्म विश्वास की कमी है। इस तरह डर दूर करने के लिए अपने स्वभाव में बदलाव भी जरूरी होता है। तथ्य और तर्क के साथ विचार करने की आदत डालना जरूरी है। परीक्षा के समय बिलकुल ट्वेन्टी-ट्वेन्टी मैच के प्लेयर की तरह व्यवहार कीजिए। जो समय बीत गया, उसके बारे में मत सोचिए। सिर्फ ये सोचिए कि अभी जो समय आप के हाथ में है उसका पूरा सदुपयोग कैसे करेंगे। इस समय खाना-पीना सादा रखें, हल्का व्यायाम करें। मोबाइल, टीवी आदि से दूर रहें, जिससे आंखों को आराम मिले और दिमाग भी शांत रहे।
डर छोड़कर साहसी बने, अपनी मेहनत पर रखें भरोसा
श्री बघेल ने बच्चों का हौसला बढ़ाते हुए कहा कि ’जो रखते हैं उड़ने का शौक, उन्हें नहीं होता गिरने का खौफ’। मुख्यमंत्री ने परीक्षा के समय होने वाले डर और तनाव से निपटने के उपायों के संबंध में कहा कि सबसे पहले तो इस डर के मनोविज्ञान को समझना जरूरी है। जब तक आप डर के बारे में सोच-सोचकर डरते रहेंगे, तब तक मन से डर को बाहर निकाल फेंकने का प्रयास शुरू ही नहीं कर पायेंगे। सवाल सिर्फ पढ़ाई के डर का नहीं है, बल्कि स्वभाव का है कि आप हिम्मत वाले, साहसी, निडर कहलाना चाहते हैं या डरपोक। निश्चित तौर पर आप सब साहसी कहलाना पसंद करेंगे। मुझे लगता है कि तैयारी में किसी न किसी कारण से कोई कमी ही डर का कारण बनती है और दूसरा बड़ा कारण है कि आपने जितनी मेहनत की है, उससे अधिक की अपेक्षा रखने पर डर लगता है। बहुत अच्छी तैयारी के बाद भी अगर डर लगता है तो इसका मतलब है कि कहीं न कहीं आत्म विश्वास की कमी है। इस तरह डर दूर करने के लिए अपने स्वभाव में बदलाव भी जरूरी होता है। तथ्य और तर्क के साथ विचार करने की आदत डालना जरूरी है। परीक्षा के समय बिलकुल ट्वेन्टी-ट्वेन्टी मैच के प्लेयर की तरह व्यवहार कीजिए। जो समय बीत गया, उसके बारे में मत सोचिए। सिर्फ ये सोचिए कि अभी जो समय आप के हाथ में है उसका पूरा सदुपयोग कैसे करेंगे। इस समय खाना-पीना सादा रखें, हल्का व्यायाम करें। मोबाइल, टीवी आदि से दूर रहें, जिससे आंखों को आराम मिले और दिमाग भी शांत रहे।

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